जानिए आखिर कैसे बना टाटा ग्रुप ऑफ़ कंपनी , सक्सेस स्टोरी !!

रतन टाटा को तो हम सब जानते है आखिर वो उध्योग पति , बिज़नस मैगनेट , और ना जान क्या क्या है , आपको जानकर हैरानी होगी की रतन टाटा एक बहुत बड़े दानी भी है | रतन टाटा ने नभे के दशक से दो हज़ार बारह तक टाटा ग्रुप ऑफ़ कम्पनीज के अध्यक्ष पद को सम्भाला लेकिन बाद में अध्यक्षता छोड़ने के बाद उन्होंने टाटा समाजसेवी कम्युनिटी को खोला और उसके अध्यक्ष अभी भी वो ही है | टाटा ग्रुप ऑफ़ कम्पनीज ने विदेश में भी नाम कमाया और उनकी कमाई का सबसे ज्यादा हिस्सा भारत से नही बल्कि फॉरेन कन्ट्रीज से आता है | रतन टाटा और सिर्फ रतन टाटा ही इन सब चीजों के जिमेदार है | इनका जन्म 28 दिसम्बर 1937 को हुआ था | ये मुंबई में जन्मे थे | नवल टाटा इनके पिता का नाम है लेकिन शादी के कुछ समय बाद रतन के पिता और उनकी माँ के बीच तनाव होने के कारण उनमे तलाक हो गया फिर रतन छोटे ही थे जिसके कारण रतन को उनकी ताई ने पढ़ाया मुंबई में | बाद में टाटा ने कॉलेज से पढाई पूरी करी और अल्फा सिग्मा फाई के सदस्य बने | रतन को बचपन से कभी किसी चीज़ के लिए मना नही किया गया था आखिर वो अमीर घर में जन्मे थे | वे पारसी पादरी से थे |

रतन एक कामयाब और पड़े लिखे उद्योगपति है उन्होंने USA से पढ़ी पूरी करी है | रतन आगे चलकर अपने खानदानी बिज़नस से जुड़ गये | उन्हें बिज़नस के लिए जमशेदपुर भी आये दिन जाना पड़ता था | उनके पिता ने आगे चलकर उनको चेयरमैन बनाया लेकिन लोगों ने इसपर नाराजगी दिखाई क्यों की व्यवसाय बड़ा था और रतन अनुभवी नही थे जिसके चलते उनको लोस हो सकता था लेकिन रतन टाटा ने अपनी सूझ बुझ का पूरा परिचय दिया और जहाँ कंपनी घाटे में चल रही थी उसको मुनाफे की ओर ले गये | इसके बाद रातां ने विदेश में भी कामयाबी प्राप्त की और टाटा ग्रुप ऑफ़ कम्पनीज को बुलंद कर दिया | रतन अपनी आधी कमाई दान कर देते है जिसके चलते वो अमीरों की सूचि में नही है अगर वो ऐसा नही करे तो वो देश के सबसे अमीर व्यक्ति कहलायेंगे |